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ज्येष्ठाङ्गबाहुहृत्कण्ठकटिपादनिवासिनीम् ॥७॥
इस सृष्टि का आधारभूत क्या है और किसमें इसका लय होता है? किस उपाय से यह सामान्य मानव इस संसार रूपी सागर में अपनी इच्छाओं को कामनाओं को पूर्ण कर सकता है?
ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।
The underground cavern has a dome high above, and scarcely noticeable. Voices echo superbly off The traditional stone on the walls. Devi sits in a very pool of holy spring drinking water having a Cover over the top. A pujari guides devotees by the entire process of spending homage and getting darshan at this most sacred of tantric peethams.
This mantra is definitely an invocation to Tripura Sundari, the deity getting resolved In this particular mantra. It is just a request for her to fulfill all auspicious desires and bestow blessings upon the practitioner.
ह्रींमन्त्राराध्यदेवीं श्रुतिशतशिखरैर्मृग्यमाणां मृगाक्षीम् ।
काञ्चीपुरीश्वरीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१०॥
षट्पुण्डरीकनिलयां षडाननसुतामिमाम् ।
The Devi Mahatmyam, a sacred text, details her valiant fights inside of a series of mythological narratives. These battles are allegorical, representing the spiritual ascent from ignorance to enlightenment, Using the Goddess serving as the embodiment of supreme understanding and electric power.
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
Around the fifth auspicious working day of Navaratri, the Lalita Panchami is celebrated since the legends say this was the working day if the Goddess emerged from hearth to kill the demon Bhandasura.
The essence of these functions lies within the unity and shared devotion they encourage, transcending specific worship to create a collective spiritual ambiance.
ज्योत्स्नाशुद्धावदाता शशिशिशुमुकुटालङ्कृता ब्रह्मपत्नी ।
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है read more और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।